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सरसों की खेती करने वाले किसान भाइयों की लिए बड़ी खबर! इस कैप्सूल के जादू से होगी बंपर पैदावार, जानें इसके बारे में

अगर आप सरसों के किसान हैं और पानी की कमी से परेशान हैं, तो आपके लिए हाइड्रोजेल एक शानदार समाधान हो सकता है। यह कृषि इनपुट खेती में पानी की समस्या को दूर करने में मदद करता है। हाइड्रोजेल एक दानेदार कैप्सूल के रूप में उपलब्ध होता है, जिसे सरसों की बुवाई के समय मिट्टी में डाला जाता है। यह अपनी अद्भुत पानी सोखने की क्षमता से किसानों को राहत प्रदान करता है।
 

Sarso Ki Kheti : अगर आप सरसों के किसान हैं और पानी की कमी से परेशान हैं, तो आपके लिए हाइड्रोजेल एक शानदार समाधान हो सकता है। यह कृषि इनपुट खेती में पानी की समस्या को दूर करने में मदद करता है। हाइड्रोजेल एक दानेदार कैप्सूल के रूप में उपलब्ध होता है, जिसे सरसों की बुवाई के समय मिट्टी में डाला जाता है। यह अपनी अद्भुत पानी सोखने की क्षमता से किसानों को राहत प्रदान करता है।

हाइड्रोजेल की कार्यप्रणाली

हाइड्रोजेल एक ऐसा पदार्थ है जो पानी को अपने अंदर सोखने और उसे धीरे-धीरे छोड़ने की क्षमता रखता है। यह मिट्टी में घुले बिना पानी को सोखकर जमा कर लेता है और जब मिट्टी में नमी की कमी होती है, तब यह पानी धीरे-धीरे पौधों की जड़ों में छोड़ता है। इस तकनीक का उपयोग खासकर उन क्षेत्रों में किया जाता है, जहां सिंचाई की सुविधाएं सीमित होती हैं।

हाइड्रोजेल की खासियतें

हाइड्रोजेल अपने वजन का 350 गुना पानी सोख सकता है। यह पानी को धीरे-धीरे पौधों तक पहुंचाता है, जिससे पानी की कमी की स्थिति में भी पौधे जीवित रहते हैं।कम लागत, सिंचाई की सुविधाओं के बिना भी यह तकनीक किसानों को सस्ते और प्रभावी समाधान प्रदान करती है।

हाइड्रोजेल का उपयोग कैसे करें?

हाइड्रोजेल का उपयोग सरसों की बुवाई के समय किया जाता है। यह आसानी से मिट्टी में मिल जाता है और पौधों की जड़ों तक पानी पहुंचाता है। हाइड्रोजेल का प्रयोग काफी सरल है, और इसे किसानों द्वारा आसानी से खरीदा जा सकता है।

जहां सिंचाई की सुविधा नहीं है, वहां 5 किलो प्रति हेक्टेयर हाइड्रोजेल का उपयोग किया जाता है।जहां सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध हैं, वहां 2.5 किलो प्रति हेक्टेयर हाइड्रोजेल का प्रयोग किया जाता है।

हाइड्रोजेल के फायदे

यह पौधों को उनकी आवश्यकता अनुसार पानी देता है, जिससे सिंचाई की आवश्यकता कम हो जाती है।हाइड्रोजेल का उपयोग करने से सरसों के दाने बेहतर तरीके से परिपक्व होते हैं, और उत्पादन में वृद्धि होती है।विशेष रूप से ऐसे क्षेत्रों में जहां पानी की उपलब्धता सीमित है, यह तकनीक किसानों को सिंचाई की चिंता से राहत देती है।

सरसों की खेती और पानी की कमी

सरसों की खेती अक्सर ऐसे क्षेत्रों में की जाती है, जहां पानी की कमी की समस्या होती है। अचानक मौसम में बदलाव, गर्मी बढ़ना, या पानी की कमी के कारण सरसों की वृद्धि और पैदावार में 17% से 94% तक की गिरावट हो सकती है। इस समस्या को दूर करने के लिए हाइड्रोजेल एक बेहतरीन समाधान साबित हो सकता है।