कपास की फसल मे बारिश की वजह से हुआ है भारी नुकसान, उत्पादन में आई कमी
बल्लभगढ़ के प्याले गांव में कपास किसानों की आजीविका का मुख्य स्रोत है। हालांकि, इस बार स्थिति काफी अलग है. पिछले 10 वर्षों से कपास उगा रहे 55 वर्षीय किसान शिव सिंह ने कहा कि इस साल फसल को भारी नुकसान हुआ है।
शिव सिंह ने बताया कि वे मशीनों से कपास की बुआई करते हैं और एक बीज बैग की कीमत लगभग 800 रुपये है. कपास की बुआई अप्रैल और मई के बीच की जाती है और फसल अक्टूबर तक खेतों में रहती है। सही समय पर वर्षा होने से सिंचाई की आवश्यकता कम हो जाती है, लेकिन यदि वर्षा न हो तो एक या दो सिंचाई करनी पड़ती है।
पिछले साल 80 फीसदी मुनाफा हुआ था
उन्होंने कहा कि पिछले साल कपास की खेती से उन्हें 80 प्रतिशत मुनाफा हुआ था। पिछले साल उन्होंने पांच बीघे में कपास की खेती की थी और अच्छी कीमत मिली थी. लेकिन इस साल लगातार बारिश ने उनकी फसल बर्बाद कर दी है. इस बार उनकी कपास की 80 फीसदी फसल बर्बाद हो गई है, जिसके कारण उन्हें उचित कीमत नहीं मिल रही है।
किसानों को आर्थिक परेशानी
शिव सिंह ने बताया कि उनका पूरा परिवार अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है। वे खेती से ही अपने घर और बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी उठाते हैं। इस साल हुई क्षति के कारण घर चलाना और बच्चों को पढ़ाना बहुत मुश्किल हो गया है। उनका कहना है कि मुनाफे का 20 फीसदी हिस्सा खेती के खर्च में भी चला जाएगा और उनके पास कुछ भी नहीं बचेगा
सरकार से मदद की अपील
किसान शिव सिंह ने सरकार से अपील की है कि कृषि क्षेत्र से जुड़े किसानों की मदद की जाए ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके. उनका कहना है कि जब फसल खराब होती है तो उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती है. उन्होंने अपनी परेशानी मीडिया के जरिए साझा की है, ताकि सरकार और समाज उनकी मदद कर सके.