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लौकी की खेती से करनी है झोला भरके कमाई? तो अपनाएं यह तरीका, पैदावार होगी छप्परफाड़

चिरवा लौकी, जिसे आकार में गोल और स्वाद में बेहतरीन माना जाता है, किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो रही है। यह लौकी अन्य लौकियों के मुकाबले अधिक मुनाफा देती है, और यह पूरी तरह से जैविक तरीके से उगाई जाती है। अगर आप भी खेती में रुचि रखते हैं और अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो चिरवा लौकी आपकी कमाई बढ़ा सकती है। सुरेंद्र कुमार, जो चिरवा लौकी के प्रमुख उत्पादक हैं, अपने खेतों में इसे बिना रासायनिक दवाओं और महंगे खाद के उगाते हैं। उनका यह प्रयास न केवल किसानों को लाभ पहुंचाता है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा साबित हो रहा है।
 

Agriculture News: चिरवा लौकी, जिसे आकार में गोल और स्वाद में बेहतरीन माना जाता है, किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो रही है। यह लौकी अन्य लौकियों के मुकाबले अधिक मुनाफा देती है, और यह पूरी तरह से जैविक तरीके से उगाई जाती है। अगर आप भी खेती में रुचि रखते हैं और अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो चिरवा लौकी आपकी कमाई बढ़ा सकती है। सुरेंद्र कुमार, जो चिरवा लौकी के प्रमुख उत्पादक हैं, अपने खेतों में इसे बिना रासायनिक दवाओं और महंगे खाद के उगाते हैं। उनका यह प्रयास न केवल किसानों को लाभ पहुंचाता है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा साबित हो रहा है।

चिरवा लौकी की खेती 

चिरवा लौकी आकार में गोल होती है और इसका वजन 3 से 5 किलो तक हो सकता है। इसकी स्वाद में अन्य लौकियों से कहीं अधिक बेहतर होता है, जो इसे बाजार में अधिक मांग वाला बनाता है। इस लौकी का उत्पादन बिना रासायनिक खाद और दवाओं के होता है, जिससे यह पूरी तरह से जैविक होती है। लौकी का जूस और सब्जी अक्सर डॉक्टरों द्वारा पेट की समस्याओं और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए सलाह दी जाती है। चिरवा लौकी का पोषण मूल्य भी अधिक होता है।

चिरवा लौकी की खेती से किसानों को लाभ

चिरवा लौकी की खेती से किसानों को कई फायदे होते हैं। यह न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी होती है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाती है। सुरेंद्र कुमार के अनुसार, यह लौकी हाइब्रिड किस्मों के मुकाबले स्वाद और गुणवत्ता में कहीं बेहतर होती है।

बीजों का संरक्षण और पंजीकरण

सुरेंद्र कुमार ने चिरवा लौकी के बीजों का संरक्षण किया है। उनका मानना है कि यह प्रजाति विलुप्त होने के खतरे में है, इसलिए उन्होंने बीजों का निःशुल्क वितरण शुरू किया है ताकि और भी किसान इसे उगा सकें। इसके अलावा, वह सरकार के बीज पंजीकरण उपक्रम के तहत अपने बीजों को रजिस्टर्ड कराने की दिशा में भी काम कर रहे हैं, ताकि इस प्रजाति को संरक्षण मिल सके।

देसी किस्मों का महत्व

सुरेंद्र कुमार का मानना है कि देसी किस्मों को बचाने के लिए किसानों को आगे आना चाहिए। हाइब्रिड लौकी में स्वाद और पोषण की कमी होती है, जबकि चिरवा लौकी जैसी देसी लौकी में स्वाद और पोषण दोनों अधिक होते हैं। इसके अलावा, देसी किस्मों को बढ़ावा देने से किसानों का मुनाफा भी बढ़ सकता है।