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Jind News: DAV पब्लिक स्कूल में बच्चों ने जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्णा सुदामा की भावगीत का कर लोगों को किया मंत्रमुग्ध 

कृष्ण जन्मोत्सव पर बच्चों ने भगवान कृष्ण व सुदामा की दोस्ती दिखाते हुए  बहुत ही भावुकता भरे गीतों अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो सुदामा तुम्हारे करीब आ गया है....पर बहुत ही सुंदर नृत्य किया। बच्चों ने बड़ी देर भई नंदलाला तेरी राह तके बृजबाला..भजन का गायन  बड़े ही लयबद्ध तरीके से गाया।
 

Jind News: जन्माष्टमी के अवसर पर डी.ए.वी. के क्षेत्रीय निदेशक महोदय एवं निदेशक हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी जी के दिशा- निर्देशन में  डी.ए. वी. शताब्दी पब्लिक स्कूल जींद में नर्सरी से बारहवीं श्रेणी तक के बच्चों द्वारा जन्माष्टमी का उत्सव मनाया गया ।

डॉ. विद्यार्थी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें श्री कृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेकर श्रेष्ठ व उच्च बनना चाहिए ।हमें उनके समान उदार होना चाहिए। उनका गीता का उपदेश सदा से चला आ रहा है ,जो अधर्म पर धर्म और अन्याय पर न्याय की विजय करवाता है। हमें अपना जीवन मस्ती ,उमंग, व बहादुरी से जीना चाहिए।छोटे- छोटे बच्चे भगवान कृष्ण की वेशभूषा में बहुत सुंदर दिखाई दे रहे थे। बच्चों ने भगवान कृष्ण बनकर सबका मन मोह लिया। 

बच्चों ने कृष्ण जन्मोत्सव पर गाए भावुक गीत 
कृष्ण जन्मोत्सव पर बच्चों ने भगवान कृष्ण व सुदामा की दोस्ती दिखाते हुए  बहुत ही भावुकता भरे गीतों अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो सुदामा तुम्हारे करीब आ गया है....पर बहुत ही सुंदर नृत्य किया। बच्चों ने बड़ी देर भई नंदलाला तेरी राह तके बृजबाला..भजन का गायन  बड़े ही लयबद्ध तरीके से गाया।

कृष्णा और राधा बनी बाला ने मिलकर बेहद मनमोहक कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी। अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम  पर नृत्य बहुत ही मनमोहक था। इस प्रकार के कार्यक्रमों से बच्चों की प्रतिभा को उभरने व निखारने में एक नया आयाम मिलता है और विद्यालय में समय - समय पर ऐसे कार्यक्रम व गतिविधियां  आयोजित होती रहती हैं। 

बच्चे होते हैं स्वयं भगवान का रूप

सभी बच्चे जन्माष्टमी कार्यक्रम से बहुत खुश लग रहे थे। विद्यालय की प्राचार्या  श्रीमती विद्यार्थी जी ने कहा कि बच्चों तो स्वयं ही भगवान का रूप होते हैं जो सबका मन मोह लेते हैं ,सबको अपना बना लेते हैं ।छोटे-छोटे बच्चों के रंग-बिरंगे सजे हुए रूप को देखते हुए बच्चों को भगवान कृष्ण के कम से कम दस गुणों को उजागर कर बच्चों को उन गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।कार्यक्रम के अंत में बच्चों को मेडल पहना कर उनका उत्साह वर्धन किया गया।