हरियाणा के लिए नई विधानसभा का मुद्दा पकड़ रहा आग! चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा बनने से पंजाब सरकार क्यूँ नाराज? जानें पूरी बात
New Assembly for Haryana: हरियाणा और पंजाब के बीच चंडीगढ़ का मामला लंबे समय से विवादित रहा है। दोनों राज्यों का मानना है कि इस शहर पर उनका अधिकार है। हरियाणा विधानसभा के नए भवन निर्माण की योजना ने इस विवाद को फिर से बढ़ा दिया है। पंजाब इस पर अपनी राजधानी होने का दावा करता है, जबकि हरियाणा अपने लिए अलग विधानसभा भवन की मांग कर रहा है।
चंडीगढ़ के विवाद के कारण
विभाजन के बाद लाहौर पाकिस्तान में चला गया, और पंजाब को एक नई राजधानी की जरूरत पड़ी, जिससे चंडीगढ़ का निर्माण हुआ। हिंदी भाषी हरियाणा के गठन के बाद चंडीगढ़ दोनों राज्यों की साझा राजधानी बनी, लेकिन इसके प्रशासन का जिम्मा केंद्र सरकार के पास रहा। चंडीगढ़ में सरकारी संपत्तियों का 60:40 का बंटवारा है, जिसमें 60% पंजाब और 40% हरियाणा के पास है।
केंद्र सरकार की भूमिका और इंदिरा गांधी का वादा
1970 में केंद्र सरकार ने ऐलान किया कि चंडीगढ़ को पंजाब को सौंप दिया जाएगा, परंतु हरियाणा को उसकी राजधानी के लिए नई जगह मिलने का आश्वासन दिया गया। परंतु यह वादा अधूरा ही रह गया, और दोनों राज्य आज भी चंडीगढ़ के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
हरियाणा के लिए नई विधानसभा का मुद्दा
हरियाणा सरकार ने केंद्र से चंडीगढ़ में विधानसभा भवन निर्माण के लिए जमीन की मांग की, और चंडीगढ़ प्रशासन ने रेलवे स्टेशन के पास 10 एकड़ भूमि देने का फैसला किया। लेकिन पंजाब सरकार और स्थानीय संगठन इसके विरोध में एकजुट हो गए, और इसे अपनी राजधानी का हक बताया।
नवीनतम लड़ाई 13 नवंबर को फिर से शुरू हुई, जब हरियाणा सरकार ने कहा कि उसे पर्यावरण मंजूरी मिल गई है और अब वह चंडीगढ़ में नए हरियाणा विधानसभा भवन का निर्माण कार्य शुरू करेगी। लेकिन पंजाब के सभी राजनीतिक दल, सभी किसान संघ, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति उनके साथ आ गए और कहा कि चंडीगढ़ वास्तव में पंजाब का है और यहां की जमीन हरियाणा को नहीं दी जानी चाहिए।