{"vars":{"id": "112470:4768"}}

झोंपड़पट्टी वालों को महलों में पहुंचा देगी यह खेती! मात्र 2 महीनों में होती है 10 लाख तक कमाई, फटाफट जानें इसके बारे में 

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के किसान पॉली हाउस में फलों और सब्जियों की खेती कर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। नुआंव गांव के रामजी दूबे ने 2019 में पॉली हाउस की शुरुआत की और अब वह शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी और विदेशी खीरे जैसी फसलों की सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं। इससे उन्हें हर सीजन में लाखों का लाभ हो रहा है।
 

Poly House Farming: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के किसान पॉली हाउस में फलों और सब्जियों की खेती कर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। नुआंव गांव के रामजी दूबे ने 2019 में पॉली हाउस की शुरुआत की और अब वह शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी और विदेशी खीरे जैसी फसलों की सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं। इससे उन्हें हर सीजन में लाखों का लाभ हो रहा है।

पॉली हाउस खेती के फायदे

पॉली हाउस खेती के माध्यम से किसान मौसम की प्रतिकूलता से अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं, जिससे उत्पादन बेहतर और गुणवत्ता उच्च होती है। शिमला मिर्च की खेती के लिए पॉली हाउस एक आदर्श माध्यम है क्योंकि इसमें नमी और तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है।

शिमला मिर्च की खेती के चरण

अक्टूबर महीने में पौधों का रोपण।  वर्मी कंपोस्ट, गोबर खाद और कीटनाशक का छिड़काव करना। लगभग 60-65 दिनों में फसल तैयार हो जाती है। शिमला मिर्च पीला, लाल, और नीला तीन रंगों में तैयार होती है।

लागत और मुनाफा

पॉली हाउस में शिमला मिर्च की खेती से मिर्जापुर के किसान हर सीजन में आठ से दस लाख रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं। यह मुनाफा फसल के उत्पादन और बाजार में बिक्री मूल्य पर निर्भर करता है। एकड़ में लगभग 10 टन पैदावार होती है. एक सीजन में आठ से 10 लाख का मुनाफा होता है. 

बाजार में मांग और बिक्री

रामजी दूबे बताते हैं कि शिमला मिर्च का बाजार मूल्य 200 रुपये प्रति किलो होता है, जो सीजन ऑफ में 300 से 400 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाता है। इस फसल की मांग हमेशा बनी रहती है, और इसे नजदीकी मंडियों में बेच दिया जाता है। बचे हुए उत्पाद को वाराणसी और प्रयागराज की मंडियों में भेजा जाता है।

पॉली हाउस खेती से लाभ कैसे कमाएं?

कम मेहनत और उच्च मुनाफे के साथ पॉली हाउस में खेती किसानों के लिए एक फायदेमंद विकल्प साबित हो सकती है। अगर किसान पॉली हाउस तकनीक को अपनाते हैं, तो मौसम की बाधाओं के बावजूद उन्हें अच्छी पैदावार मिल सकती है।