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TRAI का नया कदम! ओटीपी ट्रेसबिलिटी से ऑनलाइन फ्रॉड पर लगेगी रोक

जैसे-जैसे इंटरनेट और स्मार्टफोन का इस्तेमाल बढ़ रहा है, वैसे ही साइबर क्राइम और ऑनलाइन ठगी भी बढ़ रही है। स्मार्टफोन और इंटरनेट ने जहां हमें कई तरह की सहूलत दी हैं, वहीं साइबर अपराधियों के लिए यह नए रास्ते भी खोल दिए हैं। साइबर क्रिमिनल्स अब लोगों को धोखा देने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं, जैसे कि ओटीपी (One Time Password) के जरिए अकाउंट्स और निजी जानकारी की चोरी करना।
 

TRAI Traceability Rule: जैसे-जैसे इंटरनेट और स्मार्टफोन का इस्तेमाल बढ़ रहा है, वैसे ही साइबर क्राइम और ऑनलाइन ठगी भी बढ़ रही है। स्मार्टफोन और इंटरनेट ने जहां हमें कई तरह की सहूलत दी हैं, वहीं साइबर अपराधियों के लिए यह नए रास्ते भी खोल दिए हैं। साइबर क्रिमिनल्स अब लोगों को धोखा देने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं, जैसे कि ओटीपी (One Time Password) के जरिए अकाउंट्स और निजी जानकारी की चोरी करना।

इन्हीं खतरों से बचने के लिए टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। TRAI ने सभी टेलीकॉम कंपनियों को ट्रेसबिलिटी नियम लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसका उद्देश्य ऑनलाइन ठगी और साइबर फ्रॉड को रोकना है, जिससे लोगों की सुरक्षा और उनके वित्तीय डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

TRAI का ट्रेसबिलिटी नियम

TRAI के नए नियम के अनुसार, अब Jio, Airtel, VI, BSNL जैसी प्रमुख टेलीकॉम कंपनियां ओटीपी और कमर्शियल मैसेजेज के ट्रेसबिलिटी नियम लागू करेंगी। इसका मतलब है कि इन मैसेजेज के ट्रैक किए जा सकने वाले स्रोत और रूट को बेहतर तरीके से पहचाना जा सकेगा। यह नियम यह सुनिश्चित करेगा कि ओटीपी का उपयोग केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं द्वारा किया जाए और साइबर अपराधी इनका गलत उपयोग न कर सकें।

ओटीपी ट्रेसबिलिटी का असर

TRAI के इस कदम से ओटीपी संदेशों के आने में थोड़ी देर हो सकती है। हालांकि, यह विलंब किसी बड़े फायदे के लिए होगा। ओटीपी के ट्रेसबिलिटी से साइबर अपराधियों को ठगी करने में मुश्किल होगी। अब ओटीपी का ट्रैक किया जा सकेगा, जिससे यह पता चलेगा कि संदेश कहां से भेजा गया और उसका उपयोग किसने किया। यह उपाय स्कैमर्स को धोखाधड़ी करने से रोकने के लिए बेहद प्रभावी साबित होगा।

ओटीपी ट्रेसबिलिटी क्यों जरूरी है?

ओटीपी का इस्तेमाल अब आम हो चुका है, खासकर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और बैंकिंग के दौरान। लेकिन कई बार साइबर अपराधी इन ओटीपी को धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल करते हैं। वे फर्जी कॉल्स, मैसेज या ईमेल के जरिए यूजर्स से ओटीपी प्राप्त कर उनके बैंक अकाउंट्स तक पहुंच जाते हैं। TRAI का यह कदम साइबर अपराधियों की गतिविधियों पर रोक लगाने का एक अहम तरीका है।

ट्रेसबिलिटी नियम का असर

इस नियम के लागू होने से ओटीपी का स्रोत ट्रैक किया जा सकेगा, जिससे धोखाधड़ी की घटनाओं को कम किया जा सकेगा। हालांकि, इसके परिणामस्वरूप ओटीपी संदेशों में कुछ समय की देरी हो सकती है। लेकिन यह सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है। खासकर अगर आप बैंकिंग, ऑनलाइन शॉपिंग, या अन्य महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं, तो यह इंतजार आपके फायदे में होगा।