आप भी करें इस खास चीज की खेती! लाखों की कमाई देख उछलने का करेगा मन
Celery Cultivation : जम्बूपानी क्षेत्र के किसानों ने देसी अजवाइन की खेती को अपनाकर अपनी किस्मत बदल दी है। कम लागत में शुरू की गई यह खेती अब किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर बन चुकी है। यहां के किसानों ने अजवाइन की खेती में हजारों की लागत लगाकर लाखों रुपये कमाए हैं और अब उन्हें हर साल अच्छी आमदनी हो रही है।
जम्बूपानी गांव, जो मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है, अब अजवाइन की खेती के लिए प्रसिद्ध हो गया है। इस क्षेत्र का वातावरण ठंडा होने के कारण यहां अजवाइन की खेती के लिए आदर्श स्थिति है।
अजवाइन की खेती की लागत और मुनाफा
अजवाइन की खेती में लागत बहुत कम आती है। सिर्फ एक एकड़ खेत में अजवाइन की फसल लगाने पर लगभग 4,000 से 5,000 रुपये का खर्च आता है, जबकि एक एकड़ से 1 लाख रुपये से अधिक का उत्पादन हो जाता है। यह आंकड़ा इस खेती को आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक लाभकारी बनाता है।
अजवाइन की खेती में बहुत कम लागत आती है और यह बहुत अच्छा मुनाफा देती है।किसान अजवाइन के साथ दूसरी फसलों का उत्पादन भी कर रहे हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है।बाजार में अजवाइन की कीमत 150 रुपये प्रति किलो तक जाती है, जो किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी है। जम्बूपानी गांव में स्थित सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला की ऊंचाई और ठंडी जलवायु अजवाइन की खेती के लिए उपयुक्त हैं। इस क्षेत्र का वातावरण स्थिर रहता है, जिससे अजवाइन की फसल को अच्छा उत्पादन मिलता है। इसी कारण यह क्षेत्र निमाड़ क्षेत्र में अजवाइन की खेती के लिए एकमात्र स्थान है।
किसानों की कोशिशें
किसान शौकत अकबर अली का कहना है कि अजवाइन की खेती को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन को आगे आना चाहिए। उनका मानना है कि अगर अन्य गांवों के किसानों को प्रेरित किया जाए, तो क्षेत्र में अजवाइन के रकबे में इजाफा हो सकता है।शौकत अली ने प्रशासन से अपील की कि अजवाइन की फसल की सरकारी खरीद व्यवस्था को सुनिश्चित किया जाए, ताकि किसानों को अच्छे दाम मिल सकें और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
अजवाइन की खेती में क्या है खास?
इस खेती में बहुत कम खर्च आता है, जिससे किसानों का जोखिम भी कम होता है। जम्बूपानी का ठंडा और आदर्श वातावरण अजवाइन की खेती के लिए एकदम सही है। अजवाइन का बाजार मूल्य 150 रुपये प्रति किलो तक होता है, जो किसानों को अच्छा मुनाफा देता है। एक एकड़ में एक लाख रुपये तक का उत्पादन होने के कारण यह खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है।