किसानों के चेहरे खिले: बारिश बनी फसलों के लिए संजीवनी, पानी की कमी काफी हद तक पूरी
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पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के चलते शनिवार को लगातार दूसरे दिन भी आसमान पर बादल छाए रहे। पिछले 24 घंटों के दौरान औसतन 22.28 मिमी बारिश दर्ज की गई। हालांकि, उचाना के कुछ गांवों में ओलावृष्टि से किसानों की चिंता बढ़ी, लेकिन दिसंबर के अंत में हुई इस बारिश ने ठंड के असर को कम कर दिया और रबी फसलों के लिए वरदान साबित हुई।
रूक-रूक कर हुई बारिश से मिली राहत
शुक्रवार को शुरू हुई बारिश का सिलसिला देर रात तक जारी रहा। शनिवार सुबह का आगाज घने बादलों और धीमी हवाओं के साथ हुआ। दिनभर ठिठुरन का एहसास होता रहा, हालांकि दोपहर बाद सूर्य के दर्शन से लोगों को थोड़ी राहत मिली। न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई, और लोग गर्म कपड़ों में लिपटे नजर आए। बादलों की सक्रियता के चलते बारिश के और भी आसार बने रहे। इस वजह से लोगों ने अपने कामकाज जल्दी निपटाकर घर लौटने में ही भलाई समझी।
किसानों के लिए बारिश बनी संजीवनी
जींद जिले में करीब 2.15 लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल खड़ी है। अगेती फसलों में दूसरी सिंचाई का समय आ चुका था, जबकि पछेती फसलों में पहली सिंचाई की जरूरत थी। इस बारिश ने सिंचाई की जरूरत को पूरा कर दिया है और फसल में बेहतर फुटाव की संभावना भी बढ़ा दी है। रबी फसल की बिजाई के बाद से ही किसानों को अच्छी बारिश का इंतजार था। ठंड के साथ-साथ धुंध और कोहरे की कमी से फसल को नुकसान हो रहा था, लेकिन अब हुई बारिश ने फसलों की पानी की कमी को काफी हद तक दूर कर दिया है।
जुलाना में सबसे ज्यादा बारिश
पिछले 24 घंटों के दौरान जुलाना में 39 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो जिले में सर्वाधिक है। यह बारिश न केवल फसलों के लिए संजीवनी बनी, बल्कि क्षेत्र में जलस्तर सुधारने में भी मददगार साबित होगी।