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Garlic price Today : फिर से महंगा हुआ लहसुन प्याज, एक हफ्ते में सातवें आसमान पर पहुंचे भाव, इस वजह से बढ़ा रेट

Onion Price 31 August: प्याज की कीमत में 15 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है। थोक बाजार में प्याज की कीमतों में 10 रुपये से 15 रुपये प्रति किलोग्राम तक की बढ़ोतरी हुई है। बेंगलुरु के प्याज व्यापारी संघ के सचिव बी रविशंकर ने कीमतों में वृद्धि के लिए कर्नाटक में फसलों के नुकसान और महाराष्ट्र के आपूर्तिकर्ताओं द्वारा स्टॉक जमा होने को जिम्मेदार ठहराया।
 
फिर से महंगा हुआ लहसुन प्याज
ONION GARLICK PRICE TODAY: प्याज की कीमतों में एक बार फिर उछाल आया है। इसके साथ ही बेंगलुरु के थोक बाजार में यह 350 रुपये से 400 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है। खुदरा बाजार में इसकी कीमत 500 रुपये प्रति किलोग्राम के पार पहुंच गई है। गौरतलब है कि पिछले एक हफ्ते में इसकी कीमत में करीब 60 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है। इससे आम आदमी का बजट बिगड़ गया है। कहा जा रहा है कि ऊंची कीमतों के कारण कई लोगों ने लहसुन खरीदना बंद कर दिया है।

द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस साल यह दूसरी बार है जब लहसुन की थोक कीमत 400 रुपये प्रति किलोग्राम के करीब पहुंच गई है। इससे पहले फरवरी में, बुवाई और कटाई में देरी के कारण बाजारों में लहसुन 400-500 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा था। वहीं, व्यापारियों का कहना है कि इस बार भीषण गर्मी के कारण नई फसल की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। हालांकि, बेंगलुरु में, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश से लहसुन की आपूर्ति की जाती है। लेकिन बारिश के कारण आपूर्ति कम हो गई है। दाम बढ़ रहे हैं।

 लहसुन की बुवाई सितंबर से अक्टूबर के बीच की जाती है
मध्य प्रदेश से लहसुन की आपूर्ति करने वाले बेंगलुरु थोक लहसुन  सितंबर से अक्टूबर के बीच की जाती है, जबकि कटाई मार्च में शुरू होती है। इस साल मार्च से बहुत गर्मी पड़ रही है। इससे यूपी और गुजरात में लहसुन की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में मध्य प्रदेश और राजस्थान से पूरे देश में लहसुन की सप्लाई हो रही है, जिससे सप्लाई में कमी आ रही है।

प्याज की कीमतों में 10 रुपये से 15 रुपये प्रति किलोग्राम तक की बढ़ोतरी
प्याज की कीमत में 15 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है। थोक बाजार में प्याज की कीमतों में 10 रुपये से 15 रुपये प्रति किलोग्राम तक की बढ़ोतरी हुई है। महाराष्ट्र में किसान मई-जून में प्याज की कटाई करते हैं और उसका भंडारण करते हैं। जब बारिश होती है, तो वे इसे छोटे-छोटे जत्थों में बाजार में लाते हैं। वहीं, कई जगहों पर प्याज की 50 प्रतिशत फसल को नुकसान पहुंचा है। कर्नाटक में किसान अगस्त में प्याज की कटाई करते हैं, लेकिन बारिश के कारण कुछ गड़बड़ हो गई है। उन्होंने कहा, "ऐसी स्थिति में, हम उम्मीद करते हैं कि सितंबर में जो प्याज काटा जाएगा वह अच्छी गुणवत्ता का होगा।