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इस राज्य के वाहन चालकों को मिलेगा शानदार सफर का आनंद! सात जिलों को जोड़ेगा नया एक्सप्रेसवे

उत्तर प्रदेश में रोड कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है, जिसमें से एक है चित्रकूट लिंक एक्सप्रेसवे। यह प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईडीए) द्वारा विकसित किया जा रहा है और यह बुंदेलखंड क्षेत्र को एक नई राह देने का वादा करता है।
 
इस राज्य के वाहन चालकों को मिलेगा शानदार सफर का आनंद! सात जिलों को जोड़ेगा नया एक्सप्रेसवे

New Expressway: उत्तर प्रदेश में रोड कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है, जिसमें से एक है चित्रकूट लिंक एक्सप्रेसवे। यह प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईडीए) द्वारा विकसित किया जा रहा है और यह बुंदेलखंड क्षेत्र को एक नई राह देने का वादा करता है।

फोर-लेन का निर्माण

चित्रकूट लिंक एक्सप्रेसवे को फोर लेन के रूप में तैयार किया जाएगा, और भविष्य में इसे 6 लेन तक बढ़ाया जा सकता है। इससे न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि क्षेत्रीय कनेक्टिविटी भी मजबूत होगी।

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे 

इस लिंक एक्सप्रेसवे का मुख्य उद्देश्य बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को नेशनल हाईवे 135 से जोड़ना है। इससे चित्रकूट के लोगों को खास फायदा होगा, क्योंकि यह क्षेत्र को राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर बेहतर सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

लंबाई और रूट

चित्रकूट लिंक एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 15.20 किलोमीटर है। इसके रूट के लिए जिले प्रशासन ने तीन प्रस्तावित मार्गों में से विभिन्न गांवों को जोड़ा है, जिनमें ग्राम गोंडा, रामपुर माफी, भारतपुरतराव, भरथौल, मछरिहा, शिवरामपुर जैसे प्रमुख स्थान शामिल हैं।

जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया

इस परियोजना के लिए 166.55 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा, जिसमें से अधिकांश निजी जमीन है। अब तक लगभग 115.06 हेक्टेयर भूमि किसानों से खरीदी जा चुकी है, और शेष 31% भूमि का अधिग्रहण जल्द ही पूरा किया जाएगा।

इन गांवों की जमीन का होगा अधिग्रहण 

गोंडा
रामपुर माफी
भारतपुर तरांव
मछरिहा
शिवरामपुर
खुटहा
रानीपुर भट्ट

टेंडर प्रक्रिया  

चित्रकूट लिंक एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया भूमि अधिग्रहण के पूरा होने के बाद शुरू होगी। इस एक्सप्रेसवे को डेढ़ से दो साल के भीतर यानी 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।