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किसान भाइयों के लिए खुशखबरी! तूर और मसूर दाल उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए केंद्र सरकार लाई खास योजना, जानें...

दालों के बढ़ते आयात को कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने तूर और मसूर दाल की खेती के लिए नए प्रयास किए हैं। इस पहल में किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग शुरू की गई है, ताकि देशभर में दालों का उत्पादन बढ़ाया जा सके।
 
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Kisan News: दालों के बढ़ते आयात को कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने तूर और मसूर दाल की खेती के लिए नए प्रयास किए हैं। इस पहल में किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग शुरू की गई है, ताकि देशभर में दालों का उत्पादन बढ़ाया जा सके।

दाल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नेशनल कॉपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन ऑफ इंडिया (NCCF) ने गुजरात, तमिलनाडु, बिहार, और झारखंड के किसानों के साथ करार किया है। यह पहल न केवल किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होगी बल्कि देश में दाल की कमी को भी पूरा करेगी।

कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग मॉडल के तहत किसानों को यह सुरक्षा दी गई है कि फसल की खरीदारी बाजार भाव या न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर की जाएगी, जो भी अधिक होगा। इससे किसानों को अपनी फसल के लिए बेहतर मूल्य मिलने की गारंटी रहेगी और उन्हें अपने उत्पाद बेचने में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

इससे होने वाले लाभों की बात करें तो MSP और बाजार भाव में से अधिक मूल्य पर फसल की खरीदारी की जाएगी। कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग के सफल रहने पर इसे अन्य राज्यों में भी विस्तारित किया जाएगा। घरेलू उत्पादन बढ़ने से दालों के आयात पर निर्भरता कम होगी।

वर्तमान में भारत कई देशों से दालों का आयात करता है। इस साल 2024 में लगभग 47 लाख टन दाल का आयात हुआ है। केंद्र सरकार की यह पहल तूर और मसूर दाल के घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग के माध्यम से किसानों को अधिक सुरक्षा और लाभ मिलेगा, जिससे दाल उत्पादन को नया आयाम मिलेगा और देश के आयात पर निर्भरता घटेगी।