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 पंजाब से हरियाणा ने मांग लिए 107 गांव वापिस, सीएम सैनी का दो टूक ब्यान, जानिए क्यों चंडीगढ़ पर हक़ को लेकर छिड़ी दो प्रदेशों में जंग 

 सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि सभी दलों को इस मामले में एकजुट होकर साथ आना चाहिए। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में नई विधानसभा बनने का विरोध करना गंभीर मामला है। इसमें आप सभी लोग दल से परे होकर साथ दें।
 
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india super news, Haryana News: बता दे की जब चंडीगढ़ की बात आती है तो उसके नियत्रंण को लेकर अक्सर हरियाणा और पंजाब दोनों ही प्रदेश अपना हक़ जताने लगते है। उसी के चलते अब हरियाणा और पंजाब सरकार एक बार फिर आमने सामने नजर आ रही है।  चंडीगढ़ को लेकर दोनों ही प्रदेश अपना हक़ जता रहे है। 
 बता दे की हरियाणा विधानसभा में राजधानी चंडीगढ़ पर नियंत्रण का सवाल उठा है। नया विधानसभा परिसर चंडीगढ़ में बनाने के फैसला पंजाब सरकार का नागुजर हो रहा है। दोनों ही राज्य अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है।  इसी के चलते विधानसभा में भी इस मुद्दे पर जोरों से चर्चा हुई। 

बता दे की मंगलवार को इसे लेकर तीखी बहस चली और सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि सभी दलों को इस मामले में एकजुट होकर साथ आना चाहिए। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में नई विधानसभा बनने का विरोध करना गंभीर मामला है। इसमें आप सभी लोग दल से परे होकर साथ दें। वहीं इस पर बात करते हुए पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार को चंडीगढ़ पर दावा नहीं छोड़ना चाहिए।

हुड्डा सरकार ने क्या कहा 
भूपिंदर हुड्डा ने कहा, 'सरकार को चंडीगढ़ पर अपने अधिकार से पीछे नहीं हटना चाहिए। विधानसभा वहीं बननी चाहिए, जहां जमीन का आवंटन हुआ है। उसे दूर नहीं ले जाना चाहिए। इसके अलावा पंजाब के साथ पानी के बंटवारे और हिंदी भाषी गांवों पर अधिकार के मसले को भी जोरदारी से रखना चाहिए।' उनके अलावा कांग्रेस के सीनियर लीडर अशोक अरोड़ा ने भी कहा कि चंडीगढ़ पर हरियाणा का भी बराबर अधिकार है। अरोड़ा ने कहा, 'चंडीगढ़ दोनों राज्यों की साझा राजधानी है। यह तब रहेगी, जब तक पंजाब हमें अबोहर और फाजिल्का के 107 हिंदी भाषी गांव नहीं दे देता। उन्होंने हमारे पानी के हिस्से को भी नियंत्रण में रखा है।'

हरियाणा सीएम ने पंजाब सरकार को लपेटा 
सीएम सैनी ने कहा कि पंजाब के नेताओं ने तो सतलुज-यमुना लिंक नहर के मसले का भी राजनीतिकरण किया है। ऐसा तब हुआ है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के किसानों के हित में फैसला सुनाते हुए कहा है कि उनका भी जल पर अधिकार है। इस तरह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी किनारे लगाने का मामला देश में पहली बार दिखता है। अब तो वे लोग चंडीगढ़ में हमारी नई विधानसभा बनने का भी विरोध कर रहे हैं। हमारे यहां 2026 में परिसीमन होना है और उससे पहले हम नई विधानसभा बना रहे हैं ताकि ज्यादा संख्या में विधायकों के बैठने की व्यवस्था बन सके। उन्होंने कहा कि विधानसभा में एकमत से जो फैसला होगा, उस पर हम आगे बढ़ेंगे।