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गोगा जी जाहरवीर का इतिहास।

 
गोगा जी जाहरवीर का इतिहास।

गोगा जी जाहरवीर का समाधि स्थल गोगामेडी में है। गोगामेड़ी राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में आता है। हनुमानगढ़ की नोहर तहसील से गोगामेड़ी 32 किलोमीटर दूर है। गोगा जी

की मान्यता राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल, गुजरात, दिल्ली और बहुत राज्यों में लंबे समय से चली आ रही है। हनुमानगढ़ की नोहर तहसील से गोगामेड़ी 32 किलोमीटर दूर है।

गोगाजी की मान्यता इसलिए है कि गोगाजी पंथ पीरों में एक प्रसिद्ध पीर और सांपों के देवता हैं। हर साल भाद्रपद मास में दो बड़े मेले भी लगते हैं। बहुत बड़ी संख्या में यहां पशु

व्यापारी भी आते हैं जिसके कारण गोगामेडी पशु मेला या गोगामेडी उंटो के मेले के लिए प्रसिद्ध है। भारत के लोग तीर्थों में से एक गोगामेड़ी तीर्थ एक विशेष स्थान है।

गोगा जी की समाधि संगमरमर से बनी हुई है गोगामेडी में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। जय गोगा जी जाहरवीर की जय!

मेला गोगामेड़ी पात्र माह के कृष्ण पक्ष की नवमी को गोगाजी देवता का मेला लगता है महाराष्ट्र हरियाणा उत्तर प्रदेश बिहार से लाखों सुपर अंजलि आते हैं इस मेले की खास होती है उसकी सभी धर्मों के लोग अपनी आस्था प्रकट करते हैं।

गोगा जी की मान्यता राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल, गुजरात, दिल्ली और बहुत राज्यों में लंबे समय से चली आ रही है।

हनुमानगढ़ की नोहर तहसील से गोगामेड़ी 32 किलोमीटर दूर है।

गोगाजी की मान्यता इसलिए है कि गोगाजी पंथ पीरों में एक प्रसिद्ध पीर और सांपों के देवता हैं।

 हर साल भाद्रपद मास में दो बड़े मेले भी लगते हैं।

 बहुत बड़ी संख्या में यहां पशु व्यापारी भी आते हैं जिसके कारण गोगामेडी पशु मेला या गोगामेडी उंटो के मेले के लिए प्रसिद्ध है।

भारत के लोग तीर्थों में से एक गोगामेड़ी तीर्थ एक विशेष स्थान है।

गोगा जी की समाधि संगमरमर से बनी हुई है गोगामेडी में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

 जय गोगा जी जाहरवीर की जय!

गोगामेडी क्यों प्रसिद्ध है गोगामेडी इस द प्रेसिडेंट डीआर कायमखानी समाज उनका गोगामेडी जाहरवीर के नाम से पुकारते हैं तथा स्थान पर मत्था टेकने करें आते हैं इस तरह

स्थान हिंदू और मुस्लिम एकता का प्रतीक है महापुरुष गोगाजी यहां उनका उनका भी मेला लगता है बड़े सत्कार से पशु भी आते हैं पर अनेक अनेक प्रकार के और यहां पर

लोगों द्वारा व्यापार किया जाता है पशुओं का।

गोगाजी का मेला और त्योहार

वैसे तो हर रोज गोगाजी मंदिर में बड़ी संख्या में लोगों का आना जाना रहता है लेकिन भादरसा मास अगस्त नवमी के दिन लोगों गोगाजी मत्था टेक आते हैं

जिसमें भारी संख्या में यात्री शामिल होते हैं यह मेला मंदिर के समिति द्वारा चित्र बताएं जो नवमी के दिन शुरू होता है 11 दिन तक यानी 3 दिनों तक चलता है मेला मेरा तन के

भजन स्थानीय को भेजने वाले कई प्रकार के स्टाल लगते है

और मंदिर की दीवार करो कहां कहां पर बनाया जाता है और गोगा जी को प्रसन्न करने के लिए मीठा भोजन बनाया जाता है और प्रसाद के रूप में यात्रियों को बांटा जाता है और

प्रसाद के रूप में चूरमा के रूप में शामिल है गोगाजी के  समान मे हर साल एक  विशाल मेला आयोजित किया जाता है |

गोगाजी मंदिर आना डेट जिला में स्थित है यहां की यात्रा करने का सबसे अच्छा सर्दियों का मौसम होता है क्योंकि गर्मियों के मौसम में राजस्थान में बहुत तेज चलती है जिसके

वजह से यहां के मौसम में कुछ बदलाव होता है फरबरी मार्च 4 सितंबर के महीने में गोगामेडी घूमने का आनंद ले सकते हैं

गोगाजी मंदिर के दर्शन करने  अच्छा समय

गोगामेडी हनुमंगढ़ जिला में स्थित है यहां की यात्रा करने का सबसे अच्छा सर्दियों का मौसम होता है क्योंकि गर्मियों के मौसम में राजस्थान में बहुत तेज चलती है जिसके वजह से

यहां के मौसम में कुछ बदलाव होता है रबरी मार्च 4 सितंबर के महीने में गोगामेडी घूमने का आनंद ले सकते हैं

गोगाजी मंदिर कैसे पहुंचे सड़क मार्ग से

अगर आप सिरसा की यात्रा सड़क मार्ग द्वारा करना चाहते हैं बता देते हैं कि चोपटा नाथूसरी हजीरा रामपुरा ढिल्लों गुसाई ना से होकर सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ

है 50 किलोमीटर दूर है इन गांव से आप की यात्रा बिना किसी परेशानी के कर सकते हैं

गुरु गोरखनाथ  टीले की दूरी

गुरु गोरखनाथ समाधि की दूरी 2 किलोमीटर है स्थान का नाम गोरख टीला है यहां पर गोरखनाथ ने तपस्या की थी और यहां पर बहुत पुराना एक कुआ है यहां पर यात्रियों के

लिए स्नान करने के लिए एक बहुत बड़ा तालाब है इस तालाब में स्नान करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं यहां पर पुराने जाल पेड़ है उनके पील लगती है पील खाने में बहुत

स्वादिष्ट लगती है